भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्राण-पीड़ा / उंगारेत्ती

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: उंगारेत्ती  » प्राण-पीड़ा

मरीचिका के सम्मुख
प्यास से छटपटाते लवा पक्षियों की तरह मरना
या उस बटेर की भाँति
जिसने कभी सागर का विस्तार नापा था
और जो अब किनारे की झाड़ियों में
अटकी है
क्योंकि उसने खो दी है
उड़ने की इच्छा-शक्ति
किंतु विलाप करते हुए जीना नहीं
किसी अंधी तूती की तरह ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल