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प्रिया-7 / ध्रुव शुक्ल
Kavita Kosh से
शब्द को शाप है
वह अकेला रह जाएगा
अर्थ को डिगाने के लिए
व्याप रहा है
एक और अर्थ
हथेली से बाहर का
भाग्य कहाँ खोजें
अनंग भस्म
झर रही है
आठों याम
सूने घर की देहरी पर
खड़ी राह देख रही है प्रिया