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प्रीत का जो पैगाम होता है / जतिंदर शारदा
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प्रीत का जो पैगाम होता है
सारी दुनिया के नाम होता है
श्वास की माला चलती रहती है
जाप यूं आठों याम होता है
कार्यारंभ यदि श्रेयस्कर हो
सदा उत्तम परिणाम होता है
निराकार अवतार लेते हैं
धन्य साकेत धाम होता है
दुनियादारी जिसे नहीं आती
उसका जीना हराम होता है
लाख अच्छे बनो ज़माने में
कुछ न कुछ इल्ज़ाम होता है
जिसका मैं नाम तक नहीं लेता
ज़िक्र उसका ही आम होता है
ज़िंदगी का सफ़र निरंतर है
मृत्यु केवल विराम होता है
लोग छुरियाँ छुपा के रखते हैं
जिह्वा पर राम नाम होता है
राम होता है जिसके मानस में
व्यक्ति वह पूर्ण काम होता है