प्रीत के पाती लिखलकै जे राधा रानी
भींजी गेलै मोहना के कोर ।
लागै छै कदम्ब सूनोॅ
लागै वृन्दावनो सूनोॅ
मारै छै यमुना हिलोर ।
कानै छै कोयलिया
कानै छै मुरलिया
सुक्खी गेलै मेघोॅ केरोॅ ठोर ।
बनी जैवै सोन नदी
मोॅन आवै अरबदी
बही जैवै तोहरे ही ओर ।
तोरे हाथें हम्मेॅ खैली
हाथ मेॅ छै वहेॅ थाली
उठै नै छै एकोटा भी कोर ।
प्रीत के पाती लिखलकै जे राधा रानी
भींजी गेलै मोहना के कोर ।