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प्रेम / कविता भट्ट
Kavita Kosh से
पेड़ों के झुरमुट से ढके
घर की छत पर- फुर्सत के क्षणों में
नीले आकाश के कैनवास पर
गहन दृष्टि का ब्रश फेरते हुए - बड़े ध्यान से
लम्बे समय में एक चित्र खींचा गया
बहुत सुंदर बनी वह कलाकृति
उन्नत ललाट, मन्द मुस्कान, सरस होंठ
और दूर तक साथ चलने की हठ करती
वही- अँधेरों में उजाले बिखेरती आँखें
वही आत्मविश्वास, वही दृढ़ता
कैनवास पर उभरा चेहरा बता रहा था कि
दुनिया का सबसे पवित्र भाव है - प्रेम
किन्तु है न आश्चर्य, कि प्रेमियों के घर नहीं होते
आकाश में ही जीवंत होती हैं- कलाकृतियाँ
नीचे हस्ताक्षर में लिखा होता है -
दुस्साहस और अनैतिकता ।