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प्रेम / श्रीजात वन्द्योपाध्याय / उज्ज्वल भट्टाचार्य

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शायद किसी दिन मैं सो रहा था, पिताजी बाहर गए थे,
मां के पुराने प्रेमी ने आकर मुझे देखते हुए पूछा था
— ‘अब किस क्लास में है वह ?’

शायद किसी दूसरे दिन मैं सो रहा था, माँ बाहर गई थी,
पिताजी की पुरानी प्रेमिका ने मुझे देखकर कहा था
— ‘बिल्कुल तुम्हारी तरह ।’

इतने साल बाद आज नींद से जगकर
मैं फिर से उन दोनों को ढूँढ़ता हूँ ।

क्या दोनों की कभी मुलाक़ात हुई थी ?
प्रेम ?
क्या शादी के बाद वे शहर के बाहर कहीं रहते हैं ?

क्या अब उनके साथ रहा नहीं जा सकता ?

मूल बांगला से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य