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प्रेम ई कर सकै / नीरज दइया
Kavita Kosh से
म्हैं कैवू - दिन
थूं रात नै दिन मानै
म्हैं कैवू - रात
थूं दिन नै रात मानै
म्हारै अर थारै बिचाळै प्रेम है
प्रेम ई कर सकै-
साच साम्हीं हरेक नै आंधो।