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प्रेम का रसायन / अनुलता राज नायर
Kavita Kosh से
जंगली फूलों सी लड़की
मुझे तेरी खुशबू बेहद पसंद है
उसने कहा था...
"मुझे तेरा कोलोन ज़रा नहीं भाता"
बनावटी खुशबु वाले उस लड़के से
मोहब्बत करती
लडकी ने मन ही मन सोचा....
(इश्क के नाकाम होने की क्या यही वजह होगी??)
लड़का प्रेम में था
उस महुए के फूल जैसी लडकी के.
वो उसे पी जाना चाहता था शराब की तरह
लडकी को इनकार था खुद के सड़ जाने से...
लड़का उसे चुन कर
हथेली में समेट लेना चाहता था
हुंह...वो छुअन!
लड़की सहेजना चाहती थी
अपने चम्पई रंग को.
लड़का मुस्कुराता उसकी हर बात पर,
लड़की खोजती रही
एक वजह-
उसके यूँ बेवजह मुस्कुराने की...
(इश्क के नाकाम होने की वजहें बड़ी बेवजह सी होतीं हैं...)