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प्रेम की परिभाषा / प्रिया जौहरी

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मुझे कभी प्रेमी नहीं मिला,
पर प्रेम हमेशा मिला।
कभी किताबों के पन्नों में,
सुंदर संगीत की लय में
जलते हुए लौ की रोशनी में मिला
कभी फूलों के रंगों में,
नदी की लहरों पर,
बारिश की बूंदों पर
सर्दी की खिली धूप में मिला
कभी सिखाने से अधिक
सीखने में मिला
जीत से अधिक हार में
बोलने से अधिक मौन में मिला
कभी अहंकार से अधिक
विनम्रता में ,
इच्छा से अधिक अनिच्छा में
हंसने से अधिक रोने में मिला
कभी भविष्य की उम्मीद से
अधिक बीते लम्हों
को फिर से जीने में मिला
कभी कुछ पाने से अधिक
खोने में मिला
मुझे प्रेमी कभी नहीं मिला,
पर प्रेम हमेशा मिला।