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प्रेम की मूरत, प्रेम की सूरत, प्रेम ही ईश्वर, लक्ष्य हमारो / शिवदीन राम जोशी

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प्रेम की मूरत, प्रेम की सूरत, प्रेम ही ईश्वर, लक्ष्य हमारो,
प्रेम के संग व प्रेम उमंग से प्रेम की गंग में स्नान संवारो।
प्रेम का हार व प्रेम शृंगार से, प्रेम की पूजन और चितारो,
प्रेम प्रभु से रच्यो शिवदीन, सदा दिल में यह प्रेम विचारो।