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प्रेम को जीवित रखना / संतोष श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
जब गीत बिखर जाएँगे
तू जीवित प्रेम देना गीतों को
जब पात झर जाएँगे
सूख कर डाल से विलग हो
दुबक जाएँगे सहम कर
सूखे पत्ते हवा के दामन में
तू आहिस्ता दुलार लेना पत्तों को
मृत्यु से लड़ना
इस्पात है तू जिंदगी