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प्रेम में / अरविन्द श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
प्रेम में
कईयों ने ख़ून से ख़त लिखे
कईयों ने लिखी कविताएँ
मैनें मैदान में दौड़ायी साइकिल
लगाया चक्कर
कई-कई बार
हैंडिल छोड़ के !