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प्रौढ़ता की दहलीज़ पर / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
Kavita Kosh से
यहाँ आपको मिलेगा
एक उदासीन लड़का
भोलापन उतार फेंकता हुआ
समझदारी में
प्रवेश की तैयारी में
वक़्त से बहुत पहले चली आई मिलेगी
एक लड़की
खुद पर कड़े पहरे बिठाती
निच्छल प्यार को
बचकाना क़रार देती
आरोहण स्थगित कर
ढलान उतरता मिलेगा आरोही
बचपन का दोस्त
लाचारियाँ गढ़ता मिलेगा
दोस्तों की कठिनाइयों में
यहाँ देखेंगे आप
नदी सूखती हुई
उम्मीद मरती हुई
उड़ता हुआ रंग
सपना टूटता हुआ
चुकता हुआ संवेदन
यहाँ जब आप
सोच रहे होंगे कि अभी
देर तक बरक़रार रहेगी सामर्थ्य
उतर आएगी
असमर्थता