भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फगत म्हैं अेकलो / इरशाद अज़ीज़

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिचकोळा खावती
बाळपणै री
बा कागज री नाव
हमेस आपरी ठौड़ पूगती
जद कदैई डूबण लागती
म्हारा जीसा
आपरै हाथां री पतवार सूं
पार लगा देंवता

अब जद कदैई
डूबण लागै
जीवण री नाव
आंख्यां रै मांय तूफान
तूफान मांय घिरी आ नाव
नाव मांय
फगत म्हैं अेकलो।