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फ़ुटपाथ पर दोपहर का भोजन / रजत कृष्ण

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फुटपाथ पर बैठी
यह दादी-पोती
जाने किस गाँव से
आई होंगी इस शहर में
किसी काम से।

काग़ज़ को ही
भोजन का पात्र बनाकर
खा रही कैसे बड़े इतमीनान से

यों ऐसे कितनों ही हैं यहाँ
जो जीते फुटपाथ पर ऐसे
जैसे कि हो इनका घर यही ।