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फ़्रेम के दो पहलू / शिवकुटी लाल वर्मा
Kavita Kosh से
हम तुम
फ़्रेम के दो पहलू !
हमारे-तुम्हारे सहारे ही
सत्य की यह तस्वीर खड़ी है !
पर देखो,
यह कितने आश्चर्य की बात है --
कि समय ने मुझ पर
अपनी सारी कीलें जड़ दीं
जब कि
तुम पर
फूल दही अक्षत है