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फिर वही सुबह होगी / प्रदीप कुमार
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सुबह
घर से निकलते हुए
जब बीवी हाथ हिला कर
विदा करती है
तो लगता है जैसे
इस सुबह का कोइ अंत नही।
जैसे तनाव कि झुरमुट
शायद ही कभी देखी हो।
दिनभर के सैंकड़ों उतार-चढ़ाव के बाद
जब शाम को घर लौटता हूँ
तो लाख चाहते हुए भी
तनाव बीवी से छिपा नहीं पाता
पर एक सुखद एहसास दे जाती हैं
उसकी वह सुलझी हुई बातें
कि छोड़िए ना
कल फिर वही सुबह होगी॥