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फिरंगानते फिरंगी / पृथ्वीनारायण शाह

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फिरंगानते फिरंगी
(वि. सं. १८३१ पूर्व )

फिरंगानते फिरंगी सुनो कास्‌मिली … … …
माजिंके बगल्मै इताएके एता गुमान् तेरा है ।।
एक्‌ते … … … … … … … … … … … …
गंगुल् उहर्वेगोल् तुन्द्रे रजफ् तौने नही टेरा है ।।
दुरिवा … … … … … … … … … का चढाञी
मद्दत्कीनि भोगे नहि न्पाल् चारो वोन् धरा है ।।
रानाको भैया नरभूपाल साहजीकों छैया
उत्तरादेको बसैया पृथीनारायण नाम मेरा हैः ।।१।।

फिरंगानते फिरंगी दल दमडी आए चन्द्र सूरजको छपाए
टेढी चली लस्कर भाउ लालै लाल् तों तरन है ।।
तोप चल्यो तुपुल् चल्यो मैइनी उलट् पर्यो
गोरेको तोडे विना छोडी नही आषीन् मदौ मरना है ।।
बाबा नरभूपाल साहजीकैं जुहाइ हम्
तो राना राजपूत पादे अंगुरी भार ही पर है ।।
यो म अंसको धरम् जोर जुनविको सरन्
मेरो तोंभरी साए कुन गइम्बाजीको चरन है ।।२।।

फिरंगानते फिरं लर्न लाग्यो उल्का जर्न लाग्यो
आँधी सर्न लाग्यो बिजुली चमकन लाग्यो ।।
ककांलि चारों वर वेहेरा टोपी गीर्न लाग्यो ।।
प्रेतात्मा फार्न लाग्यो र सफुल् फजित् फैत् उठो ।।

कदायत् बोल्न लाग्यो पर्यो कालको पहरालो
हुन दिया बल्न लागि माई मुहु सो कहन लागी ।।
एवे रजोर जुन बीई केते वीर रध है राजा
रोज गर्ने सिपाहि नहौ तो बाबा राजन्मे राजा साह ।।
प्रीथीनारायण साह है ओन् कुता बिलि ठहरा ।।३।।

‘वीरकालीन कविता’ बाट साभार