फुटलै किरणियाँ / परमानंद ‘प्रेमी’
पिया हे खेतऽ प’ जा तों हरबा लैक’ फुटलै किरणियाँ ना।
धानि हे केना क’ जैबै’ खेतबा प’ आभी नया जवनियाँ ना॥
उगथैं सुरुज लाले-लाल कियारी लाल भेलै खम्हार।
तोरऽ लाली ये सभ्भै से बढ़लऽ केना क’ जाँव बैहार॥
छोड़लऽ जाय नैं सुगबुग सेजिया आरो नया जवनियाँ ना।
धानि हे केना क’ जैबै’ खेतबा प’ आभी नया जवनियाँ ना॥
खेथै के लाली से लाल मोर देहिया खेथै से लाल संसार।
यही खेतबा क’ सेजिया बनाबऽ होथौं तब’ उद्धार॥
चलऽ हम्हूँ चलबै खेतबा में लगैबै जवनियाँ ना।
पिया हे खेतऽ प’ जा तों हरबा लैक’ फुटलै किरणियाँ ना॥
कहै ‘प्रेमी’ बैठला से बढ़ियाँ छै दुनियाँ में बेगार।
दोनों जीबें जोति-कोड़ि क’ करबऽ खेतऽ क’ तैयार॥
भरबै अन्नों सेआपनों देशबा आरो घरऽ के कोठिया ना।
पिया हे खेतऽ प’ जा तों हरबा लैक’ फुटलै किरणियाँ॥