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फूल और कुत्ता / रामदरश मिश्र
Kavita Kosh से
पीछे की गली में रहने वाला पड़ोसी दुकानदार
मेरे पास आया
गली में लटकी हुई
मेरे हरसिंगार की डालियाँ कटवाने का आग्रह लेकर
”आपको क्या परेशानी है?“ मैंने पूछा
”जनाब उसके पत्ते झड़ते हैं तो
उड़-उड़ कर मेरे दरवाजे़ पर आ जाते हैं“
”तो आप अपने कुत्ते को अपने यहाँ से हटा लीजिए“
”वह क्यों साहब?“
”वह पागल की तरह भूँकता है तो
मेरे आँगन में शोर फैल जाता है
पूरा घर उद्विग्न हो जाता है
और सुनिए
मेरे हरसिंगार की डालियों से तो चार महीने
फूल झरते हैं झर झर झर झर
गली से गुज़रने वाला हर व्यक्ति
नहा उठता है, खु़शबू में
और मुझे धन्यवाद देता है
आपको खु़शबू महसूस नहीं होती क्या?“
”यह क्या बात हुई“
कहता हुआ वह सरक गया।
-1.12.2014