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फूलों ने हैं पांखे खोलीं / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
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फूलों ने पांखें हैं खोलीं,
तुम भी अपनी आँखें खोलो।
ये धुल गए ओस के जल से,
तुम भी अपनी आँखें धोलो।
फूल खिले सुंदरता, आई।
तुम भी एक फूल बन जाओ।
रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर,
नाचो कूदो मौज मनाओ।
मिलों इन्हीं-से, खिलो इन्हीं से,
वैसे ही तुम हंसों-हंसाओं।
अपनी गंध उड़ाकर तुम भी,
फूलों सा ही नाम कमाओ।