मधुमास आवी गेलोॅ छै,
कौनेॅ कुरैया के कानोॅ मेॅ कहलकै
जे ई रं फूलोॅ सेॅ भरी गेलोॅ छै?
नै वसन्त के सखा
अशोक वृक्ष केॅ मालूम रहै
नै तिलक वृक्ष केॅ
शायत सिन्दुआर आरो कोविदार नेॅ ही
कानोॅ मेॅ कुछ फुसफूसैलेॅ होतै
जे चैत ऐतेॅ-ऐतेॅ
फूलोॅ सेॅ एहनोॅ लदलोॅ छै
जेना फूले के मठ-मन्दिर रहेॅ।
धरती पर होड़ मचलोॅ छै फूलोॅ के
गुलाब तेॅ गुलाब
खजूरो-ताड़ में फूल शोभै छै
के केकरोॅ दिश छै
के केकरोॅ दिश
ई कहना एकदम मुश्किल
मतर वसन्त के नजर सब पर छै
ई अलग बात छेकै
कि सब फूलोॅ ने नजर
बाबा के फुलवारी मेॅ एक साथ खिललोॅ
श्याम, श्वेत, आरो स्वर्णवर्णी
अशोक पर छै।
जहाँ वसन्त के अपनोॅ घर छै।