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बंद दरवाजा / सुदर्शन प्रियदर्शिनी

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मेरे पांवों
ने निगली है
कोटि - कोटि
सडकों की
लंबाई....
उन लम्बाईयों
पर स्थित
खुले रहते थे
काशी - काबा
के -मन्दिर
मस्जिद -गुरूद्वारे
एक साथ ...
आज वे
बंद क्यों हैं ?
हम ने
नियंता को
कैद
क्यों दे दी...