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बगीचे में संगीत / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / ओक्ताविओ पाज़

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वीणा और मृदंगम‌


कारमेन फिगुएरोआ डि मेयेर के लिए

हुई बारिश।
यह समय है विशाल आँखें लिए।
इसके भीतर हम आते-जाते हैं प्रतिबिम्बों की तरह।
संगीत की नदी
प्रवेश करती है मेरे रक्त-प्रवाह में।

यदि मैं कहता हूँ देह, तो वह कहती हवा
यदि मैं कहता पृथ्वी, तो वह कहती कहाँ ?

दुनिया खुलती है दो-दो प्रस्फुटन लिए :
आ जाने का दुख,
यहाँ होने का आनन्द।

मैं चलता हूँ अपने अन्तरतम में खोया।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’