भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बगुला-भगत / राहुल शिवाय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बगुले की यह सुनो कहानी
उसके मन में थी बैमानी

उसने सिर पर तिलक लगाया
रामायण का पाठ सुनाया

सुनने जो भी मछली आयी
उसने उसको झट से खाया

छल से बचकर रहना प्यारे
इस गाथा ने हमें सिखाया