भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बच्चे की खुशी / मिथिलेश श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
नाउम्मीद न हो जाय बच्चा
अचानक अकेला न हो जाय बच्चा
किसी अनजानी राह न चला जाय बच्चा
दोस्तों के रहम पर न रह जाय बच्चा
दो गुलामों के बीच फँस न जाय बच्चा
गुलामों को चाहिए कि वे एक दूसरे के सामने झुक जाएँ