भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बड़ा मनभावन / अरुण हरलीवाल
Kavita Kosh से
आसिनन पुनम के निरमल चनरमा
बड़ा मनभावन हो!
फर-फर जे... फर-फर जे धरती के आँचर
फहरे तो मुसके गगनवाँ, गगनवाँ
बड़ा मनभावन, हो!
धरती के पूता, रे! मेहनत के दूता...
बड़ा करमजोगी किसनवाँ, किसनवाँ
बड़ा मनभावन, हो!
जनगन के जलसा में अमरित के कलसा...
रूप गहे साझा सपनवाँ, सपनयाँ
बड़ा मनभावन, हो!