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बदलाव / देवी नांगरानी
Kavita Kosh से
कितने कल आकर बीत गए
कितने आज कल में बदल गए
और मैं
आज भी न जाने
कौन से कल के इंतजार में
आज को कल में बदलने के आतुर हूँ