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बदलाव / सबके लिए सुंदर आवाजें / नरेश अग्रवाल

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किनारे नहीं रोकते जल को
उसे पास से गुजर जाने देते हैं
इस तरह से बनाये रखते हैं
वे अपने आपको नया और तरोताजा।
आकाश भी दिखलाता है
हर दिन एक नये किस्म का चांद
कभी बादलों से घिरा
तो कभी घुला हुआ।
हर पल हवा चलती है
और पत्ते हिलते हैं
बदल जाता है स्वरूप पेड़ का।
हम हमेशा थोड़ा-थोड़ा करके पढ़ते हैं
फिर भी पढ़ लेते हैं बहुत सारा
एक दिन किताबें बंद कर देते हैं सारी
महसूस करते हैं
अब हम वह नहीं हैं जो पहले थे कभी।