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बदले पैमाने / शिवकुटी लाल वर्मा
Kavita Kosh से
गोली लगी
झुकी हुई पीठ में
निकल पड़े ख़ून की जगह
घुन लगे गेहूँ के दाने
सभी थे भूखे
बाँट लिया मिल-जुल
सिपाहियों ने
हत्यारों ने
भ्रष्ट मुकुटों ने
मौसम तो यह भाईचारा देख दंग रह गया
चिड़ियों की चोंचों से छूट गए गाने
काँपे गुफ़ा-घाटी,
बदले पैमाने
बिना रटे सबक बच्चे हो गए सयाने ।