बन जाती है / जियाउर रहमान जाफरी
उलझन जितनी भी आती है
बिटिया शक्ति बन जाती है
तोड़ती हिम्मत दुनिया सारी
रहती हर दम पहरेदारी
हंसी अगर तो क्यों हंसती है
इधर-उधर वह क्यों रहती है
मिलते कितने ताने उसको
करने पड़ें बहाने उसको
उसका हँसना और मुस्काना
करता कब स्वीकार ज़माना
हर पल उसे हिदायत मिलती
किससे थोड़ी राहत मिलती
हंस कर नहीं कभी बोलेगी
नहीं वह मर्ज़ी से पहनेगी
बाहर निकले तो है मुसीबत
बदलें हैं कितनों के नीयत
जिस्म के भूखे मार भी देते
हवस बुझाकर गार भी देते
कोख में बच्चे लिए ये औरत
करती पूरी सबकी ज़रूरत
फिर भी देखो क्या हिम्मत है
हंसती रहती ये आदत है
हम लड़के जो ये दुःख पाते
शायद ज़िंदा ही मर जातेउलझन जितनी भी आती है
बिटिया शक्ति बन जाती है
तोड़ती हिम्मत दुनिया सारी
रहती हर दम पहरेदारी
हंसी अगर तो क्यों हंसती है
इधर-उधर वह क्यों रहती है
मिलते कितने ताने उसको
करने पड़ें बहाने उसको
उसका हँसना और मुस्काना
करता कब स्वीकार ज़माना
हर पल उसे हिदायत मिलती
किससे थोड़ी राहत मिलती
हंस कर नहीं कभी बोलेगी
नहीं वह मर्ज़ी से पहनेगी
बाहर निकले तो है मुसीबत
बदलें हैं कितनों के नीयत
जिस्म के भूखे मार भी देते
हवस बुझाकर गार भी देते
कोख में बच्चे लिए ये औरत
करती पूरी सबकी ज़रूरत
फिर भी देखो क्या हिम्मत है
हंसती रहती ये आदत है
हम लड़के जो ये दुःख पाते
शायद ज़िंदा ही मर जाते