भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बनाए घर गरीबों के / कमलेश भट्ट 'कमल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बनाए घर गरीबों के, अमीरों के

बहुत कम घर बने हैं राजगीरों के।


उन्हें अपने-पराये से भी क्या मतलब

सभी घर, घर हुआ करते फ़कीरों के।


कोई अच्छी लिखी किस्मत बुरी कोई

अजब अन्दाज़ होते हैं लकीरों के।


नहीं पहचान जिस्मों के बिना सम्भव

बहुत एहसान रूहों पर शरीरों के।


कहीं पर भी बुराई हो, न बख्श़ेंगे

कभी मज़हब नहीं होते कबीरों के।