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बने समरस जगत सारा / रंजना सिंह ‘अंगवाणी बीहट’
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सभी मिलकर चलें जग में,
बने समरस जगत सारा।
सजायें प्रेम गुलशन में,
खिलायें फूल नव प्यारा।।
नहीं कोई बड़ा जग में,
नहीं कोई यहाँ छोटा।
सभी हैं सम यहाँ भाई,
नहीं सिक्का यहाँ खोटा।
रहें सद्भाव से हम सब,
बने ये देश जग न्यारा।
हिया में नेह को रख कर,
बनायें देश को प्यारा।।
हमारा देश युग-युग से,
रहा समरस सुनो भाई!
यहाँ हर वर्ण बसते हैं,
यहीं गंगा नदी माई।
हमारा मंत्र है समरस,
हमें संस्कार है अपना।
सभी जन हो बराबर में,
सफल हो देश का सपना।
जलायें दीप समता का,
चलें सब राह एक होकर।
करें हम दूर कंटक को,
मिलें सबसे गले लगकर।