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बन्दी / जय गोस्वामी / रामशंकर द्विवेदी
Kavita Kosh से
पन्ना उलटकर गाना देखना,
खोजते फिरना गीत
बिना जाने तैरते जाना
लता-पत्तों से घिरे सरोवर में
सरोवर
भूलवश कह गया,
असल में हर पृष्ठ पर निहित है
एक कवि का
अतल समुद्र गामी मन
समझो
या न समझो
एक सान्ध्य घर में
गीत-वितान के हाथों
बन्दी बने हुए हैं दो प्राणी
मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी