बरखा गीत / अमरनाथ मेहरोत्रा
ई बदरा बरीस-बरीस के हमरा के भिंजओले हए।
हम्मर घर अंगना-पछुआरा
सभ्भे त∙ डूब रहल हए
ओरिआनी से देख∙ ढर-ढर
पानी टपक रहल हए
मन में बदरा हम्मर कपास के फूल खिलओले हए
ई बदरा बरीस-बरीस के हमरा के भिंजओले हए।
खेत में देख∙ डूब-डूब के
बचवन स∙ खेल रहल हए,
भाई किसान हल ले ले कान्हा पर
अगरा-अगरा के चल रहल हए
किसान के मन में धानरोपनी के आस लहलहाएल हए
ई बदरा बरीस-बरीस के हमरा के भिंजओले हए।
परदेश में हम्मर साजन बसलन
कहिओ न लिखलन पतिया
हुनकर इयाद में बिसुर-बिसुर क∙
फेटल जाइत हए छतिया
हम्मर मक के तव् पुरान इयाद हरकओले हए
ई बदरा बरीस-बरीस के हमरा के भिंजओले हए।
घर के पछुआरी सगरो पानी में
बेंग, ढाबुस चिचिआइत हए
ओक्कर टर-टर सुन के त∙
हम्मर छाती धरक रहल हए
कइसे समझाऊ मन के, इ त∙ आग लहकओले हए
ई बदरा बरीस-बरीस के हमरा के भिंजओले हए।
अप्पन बगिआ में त∙ सब ओरी
किसिम-किसिम के फूल खिलल हए
ओक्कर गंध त∙ मस्त बेआर में
जइसे माह-माह कएले हए
बाकि हम्मर बिरहाकुल मन त∙ गंध के कोस रहल हए
ई बदरा बरीस-बरीस के हमरा के भिंजओले हए।