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बरखा रोॅ दिन / नवीन निकुंज

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सौनोॅ-भादोॅ केरोॅ पानी
जन्नेॅ देखोॅ हुन्नेॅ पानी ।

भूमि पर बिथरलोॅ पानी
सरंगोॅ में छितरैलोॅ पानी ।
तीन दिनोॅ सेॅ बरसै पानी
ऐलै ऐंगना-ओलती पानी ।

लकड़ी-गोयठोॅ रुसलैे जेना
सुतलोॅ छै कोय चद्दर तानी ।
कमाय-कोढ़ी केॅ लानै छेलां
साथै सतुआ सानै छेलां
केना करवै आबेॅ मजूरी
कौनें देतै दाना-पानी ?

गिरलै हमरोॅ माँटी के भीत
लेरू चपैलौ रे रंजीत
डकरै सब गैया बिन सानी
कहांँ सेॅ लानवै सानी-पानी ?

बुतरु देह पर चूऐ पानी
भींजलोॅ नुंगा काँंपै जनानी
लगै छै मेघेॅ सबकेॅ मारतै
गाल पेॅ थप्पड़ तानी-तानी ।