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बरामदे / रुस्तम
Kavita Kosh से
आपकी
दुकानों के आगे
खुले बरामदों में
बीतती हैं हमारी
ठिठुरती रातें
दिन भर
आपका बोझा ढोते हैं
रात को आप ही के
बरामदों में सोते हैं
आप मालिक हैं जनाब !
हम आपके नौकर हैं !
दुनिया आपकी है !
हम भी आपके !