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बलात्कार / भगवत रावत
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अपनी पूरी ताक़त के साथ
चीख़ती है
एक औरत
अपने बियाबान में
और
ख़ामोश हो जाती है
कहीं दूर
एक पत्ता टूट कर गिरता है
सन्नाटे को चीरता
छटपटा कर गिरता है
कहीं एक पक्षी
और दूर-दूर तक
ख़ामोशी छाई रहती है
यह मेरा समय है
और यह मेरी दुनिया है ।