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बलिदानियों को नमन् / रोहित आर्य

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जिनके बलिदानों से प्यारा,
भारत हुआ स्वतन्त्र था,
जिन लोगों ने तोड़ दिया,
गोरों का सारा तंत्र था।
दुनियाँ के दादा गोरे,
जिन वीरों ने ललकारे थे,
उन शिकारियों के आगे,
बनकर के शेर दहाड़े थे।
जिनके अत्याचारों से यह,
सारी धरती काँपी थी,
भारत के इन वीरों ने,
औक़ात उन्हीं की नापी थी।
जिन वीरों ने देश की ख़ातिर,
अपना लहू बहाया था,
जिनकी हुंकारों से सारा,
लन्दन भी थर्राया था।
दुनियाँ के सम्राट बने जो,
दम्भ उन्हीं का तोड़ा था,
भारत के वीरों ने उन,
गोरों का लहू निचोड़ा था।
वन्दे मातरम् गाकर के,
फाँसी पै जो चढ़ जाते थे,
जिनका साहस देख-देख,
यमराज तलक थर्राते थे।
इंकलाब का तेजाबी स्वर,
जिन वीरों ने गाया था,
प्रिय तिरंगा जिन वीरों के,
कारण से फहराया था।
खुद शहीद होकर के जीवित,
कर गए हिन्दुस्तान को,
"रोहित" मिलकर नमन करें,
उन वीरों के बलिदान को॥