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बस्तियाँ तो आसमाँ ले जाएँगे / तनवीर अंजुम

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बस्तियाँ तो आसमाँ ले जाएँगे
ये समुंदर किस किनारे जाएँगेे

फ़ासलों में ज़िंदगी खो जाएगी
गुम्बदों में ख़्वाब देखे जाएँगे

तुम किसी मंज़र में सुन लेना हमें
हम कभी गूंजों में ढलते जाएँगे

दूर तक ये रास्ते ख़ामोश हैं
दूर तक हम ख़ुद को सुनते जाएँगे

इक दफ़अ की नींद कैसा जुर्म है
उम्र भर हम तुम को ढूँडे जाएँगे