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बहाने यूँ तो पहले से भी थे आँसू बहाने के / आलोक यादव

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बहाने यूँ तो पहले से भी थे आँसू बहाने के
तरीक़े तुमने भी ढूँढ़े मगर हमको रुलाने के

तुम्हे ऐसी भी क्या बेचैनी थी दामन छुड़ाने की
कि पहले ढूँढ़ तो लेते बहाने कुछ ठिकाने के

मैं दिल की बात करता था तुम्हें दुनिया की चाहत थी
तो मुझको छोड़कर भी तुम न हो पाए ज़माने के

हमारे गीत और ग़ज़लों में तुमको ढूँढ़ते हैं सब
न करना फ़िक्र दुनिया को नहीं हम कुछ बताने के

यक़ीं है दिल को एक आवाज़ पर ही लौट आओगे
मगर 'आलोक' अब हरगिज़ नहीं तुमको बुलाने के