बहुत पछताओगे / हरेराम बाजपेयी 'आश'
बूँद-बूँद पानी की आज यदि बचाओगे
तभी कल का जीवन सूरक्षित कर पाओगे।
जल नहीं तो कल नहीं, हम तुमको बताएँ
हरियाली, पेड़, कृषि सभी जल से ही पाएँ
दुरुपयोग यदि जल का किया तो बहुत पछताओगे... बूँद-बूँद
धरती माँ को दे रहे प्रदूषण का रोग
अनावश्यक उत्खनन और प्लास्टिक प्रयोग
पानी का स्तर भी नीचे उतर रहा
सूरज के क्रोध से हिमालय भी गल रहा
रासायनिक प्रयोगों से गर नहीं बचाओगे।
बहुत पछताओगे।
पर्वतों की पीड़ा समझ रहा कौन
सागर करे ताण्डव समझाए उसे कौन
सुनामी केदारनाथ उआ हो बद्रीधाम
विनाश के उदाहरण गिनाएँ कितने नाम
अपने ही पैर खुद कुल्हाड़ी चलाओगे
विकास की बुलन्दियों पर कैसे पहुंच पाओगे?
सजगता जागरूकता से करो सार्थक पहल
पर्यावरण सुधरेगा तो मिलेगा शुद्ध वायु जल।
दुरुपयोग करने का परिणाम जान लो
विनाश के हथियार ना अपने हाथ लो
प्रकृति को बचाने का यदि पाठ ना पढ़ाओगे
बहुत पछताओगे।