भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बांसगीत / मुरली चंद्राकर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(कारी में गाया गया)

धन तिरिया के जात मयारू
तिरिया चरित्तर भाग मरद के, का जाने मीठ लबरा
जस अपजस बिघना लपटागे, मोर लुगा के अंचरा
मयारू धन तिरिया…

मरुवा मयारू नाव गोदायेंव, गाल गोदायेंव गोदना
कुहकू सेंदुर मांग अमर हे, हरियर चुरी गहना
मयारू धन तिरिया…

लाज लहर के पियेंव मतौना, बरबस रूप सिंगारेवं
का मोहनी मुड़ मोहना डारे, जिनगी जनम सब हारेवं
मयारू धन तिरिया…

साँस तेल जरे आस के बाती, तन माटी के दियना
अंधियारी मा होगे अंजोरी, दुखयारी के अंगना
मयारू धन तिरिया…

करिया छैहा चोर भरमथे, अबला जन के मोला
धन करिया तोर पंडरा छैहा, करिया जानेव तोला
मयारू धन तिरिया…