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बाछा बिकरी / पतझड़ / श्रीउमेश

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मोती मिसरोॅ केॅ करका बाछा पर छेलै कत्तेॅ मोह।
अपना बेटा सें बेसी बाछा पर छेलै ओकरोॅ छोह॥
मजबूरी ऊ बाछा बेचलक मोतीं यै ठाँ हमरे पास।
बाछा केॅ बेचौ केॅ मोती कत्ते छेलोॅ खिन्न-उदास॥
हुकर-हुकरी कानै छेलोॅ सूनों होलोॅ आज बथान।
आबेॅ केकरा सानी देबै कुट्टी काटी साँझ-बिहान॥
हमरा छाया में बैठी केॅ कत्तेॅ लोर गिराबै छै।
हम्में केना समझैयै; यें हमरा बड़ी पिराबै छै॥