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बाजै छै बीन / भाग-10 / सान्त्वना साह

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जिन्दाबाद

पन्द्रह अगस्त जिन्दाबाद
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
वीर भगत सिंह आरो आजाद
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
विस्मिल सावरकर गुरदास
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
गाँधी गोखले वीर सुभाष
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
राजगुरू सुखदेव निहाल
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
राममोहन चितरंजन दास
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
काश्मीर भारत के ताज
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
कवि रवि राजेन्द्र प्रसाद
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
जय सतीश जै जै प्रकाश
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
जय-जय-जय-भारत के लाल
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
जननी तोरोॅ हृदय विशाल
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
जय जवान, जय-जय किसान
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
जय विज्ञान-अटल महान
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद
जय कलाम-परमाणु नाम
जिन्दाबाद-जिन्दाबाद।

सरकस

मानोॅ या नै मानोॅ
हम्मेॅ कहै छियौं सच
याद करै में खोड़ा
हमरा बजी गेलै दस
ले झटकनिया छौड़लाँ
गेलाँ बहियारी में फँस
चलै छेलै कोल्हवाड़
पीलाँ केतारी के रस
एतन्है में होरनैलेॅ हुप सेॅ
आवी गेलै बस
की कहियौं जी चढ़ी तेॅ गेलाँ
चक्का गेलै धँस
आगू-आगू टैªक्टर चलै
पाछू-पाछू बस
इसकुलिया के आँख जुड़ैलै
देखी केॅ सरकस।

टिड्ढा-टिड्ढी

डिट्ढा-टिड्ढी में होलै लड़ाय
टिड्ढी गेलै झाड़ी नुकाय
टिड्ढा कहै आवोॅ बहराय
टिड्ढी रूसै फुस-फुस आय
टिड्ढा बोलै देभौं बोलाय
नैहरा सें तोरोॅ भौजी के भाय
टिड्ढी कहै रोजै चिढ़ाय
कैन्हें हमरा दै छौ सताय
टिड्ढा कहै मानी जा आय
काल्हू सें केकरो लेवै बोलाय
टिड्ढी आय ऐली गरमाय
लानी केॅ देखोॅ, देभौं बहियाय
फूस-फास बातोॅ के छेकै लड़ाय
कान खोली केॅ सुनी लेॅ आय
गोस्सा पित्ता छेकै बलाय
मिली केॅ रहै में छै भलाय।

पुसभत्ता

पुसभत्ता के करी विचार
चलली सोनी गंगा पार
नाव नवेरिया नै मल्हार
कैसेॅ केॅ चलतै पतवार
एतन्है में ठिठियैलेॅ मोनी
लै केॅ ऐली सक्खी चार
मीना, रीना, चीना, हीना
चल झुलैलेॅ महुआ डार
हौले-हौले पेंगा मार
झूलँ एक तेॅ गिनॅ चार
खायले झप-झप पूड़ी-अचार
चल घर जल्दी, बजलौ चार।

इकलौती धिया

कथीलेॅ हमरा अर्हावै छोॅ तों
गोस्सा देलाय फुसलावै छोॅ तों
जैभौं बहियार, घुरी ऐभौं नै जों
रिरियैतेॅ रहवेॅ दुआरी पर तों
रिरियैभेॅ बतियैभेॅ मिमियैभेॅ तों
लुलुऐभेॅ, झुंझुऐभेॅ, खिसियैभेॅ तों
माथा चढ़ाय केॅ, बहियावै छोॅ तों
कैन्हें नी सच पतियावै छोॅ तों
कहियो तेॅ खूब सखियावै छोॅ तों
छाती लगाय पटियावै छोॅ तों
हमरा की बूझलेॅ छोॅ यशोदा के लाल
इकलौती धिया, अझोला बेहाल।

गाँधी बाबा

सत्य-अहिंसा के पुजारी
गाँधी बाबा लाठीधारी
बकरी के दूध पीयै घुट-घुट
तकली-चरखा, खादी के सूत
यहेॅ छेलै हथियार कमाल
अंगरेजोॅ केॅ देश निकाल
सात समन्दर पार भगैलकै
एक नया इतिहास रचैलकै
देश आजाद-सबके राज
भारत माय के मस्तक ताज
रखिहोॅ पुरखा के तों शान
बोलोॅ-भारत देश महान।

इन्दिरा माय

हमर्हौ सिलाय देॅ
इस्कौट-बुलौज
आरो मंगाय देॅ
पिन्सिल-सिलौट
लरना घटारते
जरी गेलोॅ हाथ
अच्छर चिन्हाय केॅ
करी देॅ सनाथ
लेरूआ-बकरिया
चरैभौं नै रोज
बनभौं इसकुलिया
छै जेना सरोज
रस्ता चढ़ाय देॅ
आगू बढ़ाय
तभीये कहैभेॅ
तहूँ ”इन्दिरा“ माय।

धरती मैया

बनतै भारत सोनचिरैया
बहतै दूध-दही के नदिया
फरतै फनु अमरित फल गछिया
खिलतै कमलिनी ताल-तलैया
उड़तै तितली यहेॅ फूल-बगिया
गूँजतै भौंरा-मधुफल रसिया
बजतै राधा-कान्हा के बंसिया
झूला लगतै कदम के गछिया
बसतै निंदिया नुनू के अँखियाँ
रूसतै सूरज डबतै पछियाँ
झरतै स्वाती, भरतै सीपिया
हँसतै खल-खल धरती मैया।

कबड्डी

चल खेलै लेॅ छू-कबड्डी
छुआहुई, गुत्थम-गुत्थी
हल्ला-गुल्ला नै कर गुड्डी
हुवेॅ लागतै जुत्थम-जुत्थी
सौंसे गाँव में होलै गदाल
छू कबड्डी के खेल कमाल
पटकनिया पर होलै बबाल
घिच्चम-घिच्ची टेंगरी बाल
हुवेॅ हार कि हुवेॅ जीत
बदला लै के नै छै रीत
राखिहोॅ दोनों दल में प्रीत
मात खाय भी जोगिहोॅ मीत।

करमा परव

ऐलै गे बहिनी गरमा परव
भैया सहोदर पर हमरा गरव
”नहाय केॅ खाय“ रोॅ छै सहचार
सहवै दिनभर पैहलोॅ बार
ठेकुआ-खवौनी पाकतै हौ दिन
फल-फूल साजतै परवैतिन
गंगा नहाय केॅ आनवै झूर
खानी केॅ पोखरी गाड़वै झूर
ताड़ फल हसती करवै अरज
खिलेॅ हमरोॅ भैया जेना जलज
भैया करते, पोखरी पार
जियोॅ हो भैया, बस हजार
हाँसतेॅ रहेॅ तोरोॅ संसार
बहिन सहोदरा के बेड़ा पार।