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बात अधूरी / सुस्मिता बसु मजूमदार 'अदा'

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जो बात अधूरी सच्ची है
वो बात अधूरी अच्छी है
कुछ काली रातें सच्ची हैं
कुछ उयजली बातें अच्छी हैं।

उस रोज अमावस सच्ची थी
अब पूरणमासी अच्छी है
कुछ यादें अब भी ताजा हैं
कुछ बातें अब भी कच्ची हैं।

उन उजली उजली आँखों में
मैंने देखा था सूनापन
कारण जो मैंने पूछा तो
बोले बेटा तू बच्ची है।

तंदूर अभी सुलगाया है
कुछ रिश्ते पकने बाकी हैं
है प्यार की धीमी आंच अभी
बस बात इतनी ही अच्छी है।