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बात छोटी है मगर सादा नहीं / कविता किरण
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बात छोटी है मगर सादा नहीं
प्यार में हो कोई समझौता नहीं
तुम पे हक हो या फलक पे चाँद हो
चाहिए पूरा मुझे आधा नहीं
दिल के बदले दांव पर दिल ही लगे
इससे कुछ भी कम नहीं ज्यादा नहीं
मर मिटे हैं जो मेरी मुस्कान पर
उनको मेरे ग़म का अंदाज़ा नहीं
इक न इक दिन टूट जाना है 'किरण'
इसलिए करना कोई वादा नहीं