भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बातें बड़ी-बड़ी / रमेश तैलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जहाँ लिखा-पार्किंग मना है
वहाँ गाड़ियाँ खड़ी हुई हैं।
फुटपाथों पर तरह-तरह की
चीजें बिखरी पड़ी हुई हैं।

कहीं खड़े हैं टू-व्हीलर,
तो कहीं रेडियों का जमघट है।
कहीं खुले हैं मेनहोल
सीवर के, कहीं पशु-संकट है।

कहीं भरा है पानी, कीचड़,
कहीं रास्ता खुदा हुआ है।
आपाधापी में जैसे
हर काम हमारा रुका हुआ है।

बड़े शहर के बड़े लोग बस
बातें बड़ी-बड़ी करते हैं।
हम छोटों की तरह कभी पर
मेहनत नहीं कड़ी करते हैं।