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बाना / सरोज कुमार
Kavita Kosh से
जी, पढ़ाई लिखाई की कौन बात
कोई नौकरी करना नहीं!
जी, मिलनसार की कौन बात
कोई तो चुनाव तो लडाना नहीं!
जी। नृत्य-गान की कौन बात
कोई मंच पे नचाना नहीं!
जी, शक्ल-सूरत की कौन सी बात
कोई फिल्म तो बनाना नहीं!
जी, लेन देन की करें बात
उसके बिना बाना नहीं!
चूल्हा फुंकवाना है
खाना पकवाना है
बर्तन मंजवाना हैं
कपड़े ढुलवाना हैं
झाड़ू लगवाना है
बिस्तर बिछवाना है
बच्चे जनवाना हैं
आखिर को जनाना है!
जी, ये कोई बहाना नहीं-
अभी हमारी
हाँ...
ना...
नहीं!