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बाबा और तानपूरा / विवेक निराला

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निराला जी के पुत्र रामकृष्ण त्रिपाठी के लिए

घर के एक कोने में
खड़ा रहता था
बाबा का तानपूरा
एक कोने में

बाबा पड़े रहते थे
तानपूरा जैसे बाबा
बाबा पूरे तानपूरा

बुढ़ाते गए बाबा
बूढ़ा होता गया तानपूरा
झूलती गई बाबा की खाल
ढीले पड़ते गए
तानपूरे के तार

तानपूरे वाले बाबा
बाबा वाला तानपूरा
असहाय नहीं है
इनमें से कोई भी

बल्कि हमारी पीढ़ी में ही
कोई साधक नहीं हुआ